साल 2020 में जापानी कंपनी Toyota ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है। गौरतलब है कि पिछले साल 95 लाख यूनिट कारों बिक्री के साथ टोयोटा दुनियाभर में सर्वाधिक कार बेचने वाली कंपनी बन गई। Toyota ने ये उपलब्धि जर्मन ऑटोमोबाइल कंपनी फॉक्सवैगन (Volkswagen) को पीछे छोड़कर हासिल की। बीते साल फॉक्सवैगन ने 93 लाख यूनिट कारें बेची थीं।
आपको ये जानना दिलचस्प लग सकता है कि जिस टोयोटा को आप-हम घरेलू या टूरिज्म कारें बनाने के लिए पहचानते हैं, दुनियाभर के आतंकवादी संगठनों के लिए वह सबसे पसंदीदा वाहन निर्माता कंपनी है।
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साल 2001 में अमेरिका ने आतंकी संगठन अलकायदा के खिलाफ अफगानिस्तान में लड़ाई छेड़ दी थी। इस दौरान अमेरिकी सैनिकों ने देखा कि अफगानिस्तान में टोयोटा के पिकअप ट्रक ‘हायलेक्स’ (Hilux) के लिए लोगों में काफी इज्जत है। पता चला कि कनाडा की तरफ से (जापानी कंपनी टोयोटा के) हायलेक्स ट्रकों की एक खेप अफगानिस्तान पहुंची थी, जो जल्द ही हाइलेक्स जिहादी मुहिमों में मददगार साबित होने लगा।
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इस ट्रक के लिए आतंकवादियों की दीवानगी एक बात से समझी जा सकती है। दरअसल, कनाडा ने हाइलेक्स के जो ट्रक अफगानिस्तान भेजे थे, उनके पीछे उसके राष्ट्रीय ध्वज में बनी मैपल वृक्ष की पत्ती बनी थी। हाइलेक्स ट्रकों से प्रभावित तालिबान के लड़ाकों ने इस पत्ती का टैटू अपने शरीर पर गुदवाना शुरू कर दिया। अमेरिकी सैनिकों के हाथों मारे गए कई तालिबानियों के शरीर पर ये टैटू मिला था।
टोयोटा हाइलेक्स
लेकिन ये ट्रक टोयोटा का पहला वाहन नहीं था जिसे अलकायदा के लड़ाके इस्तेमाल कर रहे थे। नवंबर 2001 में न्यूयॉर्क टाइम्स में छपी एक खबर के मुताबिक, अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन और उसके फौजी कमांडर मुहम्मद आतिफ को टोयोटा की ही एसयूवी लैंडक्रूजर बेहद पसंद थी।
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आपको ये जानना दिलचस्प लग सकता है कि अलकायदा ही नहीं बल्कि Toyota Hilux दुनियाभर के आतंकी संगठनों का चहेता वाहन है। कुछ अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट बताती हैं कि वैश्विक स्तर पर हो रही अधिकतर गुरिल्ला (छापामार) लड़ाइयों में टोयोटा हाइलेक्स सबसे प्रमुख हथियार है। सोमालिया, निकारगुआ और चाड़ में इस गाड़ी की भारी खपत है।
बताया जाता है कि विद्रोही गतिविधियों में टोयोटा को सबसे पहले सोमालिया में ही उपयोग में लाया जाता था। साठ के दशक में जब सोमालिया और इथोपिया के बीच सीमा विवाद हुआ था तो सोमालिया ने टोयोटा की गाड़ियों का भरपूर इस्तेमाल किया। लेकिन बाद में इन गाड़ियों की सहूलियत को देखते हुए इन्हें समुद्री लुटेरे इस्तेमाल करने लगे।
वहीं, 2014 में अमेरिका ने सीरिया की विद्रोही फौज की मदद के लिए हथियारों के जखीरा के साथ 43 हायलेक्स ट्रक भी भेजे थे। खबरों के मुताबिक सीरिया की विद्रोही सेना को ब्रिटेन की तरफ से आने वाली मदद में भी ये ट्रक शामिल थे।
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ये ही नहीं दुनियाभर में आतंक का पर्याय बन चुका आईएसआईएस (ISIS) जो वीडियो जारी करता है उनमें पिछले बीते कुछ वर्षों से टोयोटा के ट्रकों की बड़ी तादाद दिखाई देने लगी है। इनमें से अधिकतर नए होते हैं। संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका के भूतपूर्व राजदूत मार्क वैलेस ने एक बार बयान दिया था कि दुर्भाग्यपूर्ण ढंग से टोयोटा ट्रक आईएसआईएस की पहचान से जुड़ चुके हैं। जब टोयोटा से इस बारे में पूछा गया तो कंपनी का कहना था कि उसके लिए ही नहीं बल्कि दुनिया की किसी भी वाहन निर्माता के लिए पुराने वाहनों को खरीदने-बेचने के उपयोग में लाए जा रहे अनधिकृत माध्यमों पर रोक लगाना बहुत मुश्किल है.
जानकार कहते हैं कि रक्षा एजेंसियां टोयोटा के इस जवाब से संतुष्ट नहीं हुईं। लिहाजा उन्होंने अपनी जांचें जारी रखीं। इनमें उन कारणों का पता चला जिनके चलते ये ट्रक आईएसआईएस तक पहुंच रहे थे। खबरें बताती हैं कि अमेरिका और यूरोपीय देश सीरियाई विद्रोहियों के लिए बड़ी संख्या में हायलेक्स ट्रकों को भिजवाते हैं जहां से इन्हें आतंकियों द्वारा चुरा लिया जाता है। इसके अलावा दूसरे देशों से भी चोरी-छिपे लाकर इन ट्रकों को अच्छी-खासी कीमत में इन आतंकियों को बेच दिया जाता है। एक ऑस्ट्रेलियाई रिपोर्ट के मुताबिक 2014 से 2015 के बीच लगभग 800 टोयोटा ट्रक गायब हुए थे। आशंकाएं जताई गईं कि इन्हें आईएसआईएस तक पहुंचाया गया था।